भोपाल: वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में लगभग 15 साल की सफेद बाघिन रिद्धि का निधन हो गया। यह घटना 18 एवं 19 सितंबर 2024 की दरम्यानी रात हुई। रिद्धि को 28 दिसंबर 2013 को इंदौर जू से आदान-प्रदान योजना के तहत लाया गया था, जब उसकी उम्र लगभग 4 वर्ष थी। पिछले कुछ वर्षों में, रिद्धि ने पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रियता हासिल की थी और उसे डिस्प्ले वाले में रखा गया था।
रिद्धि की मौत से पहले, पिछले दो दिनों में उसने अपना नियमित भोजन नहीं लिया था। हालांकि, यह उसके लिए सामान्य स्थिति थी, लेकिन 18 सितंबर को वह अपने हाउसिंग में सामान्य दिख रही थी। अगले दिन, सुबह लगभग 7:00 बजे, उसे उसकी हाउसिंग में निष्क्रिय अवस्था में पाया गया। वन्यप्राणी चिकित्सक डॉ. अतुल गुप्ता ने तुरंत उसकी जांच की और उसे मृत घोषित कर दिया।
मौत का कारण और पोस्टमार्टम रिपोर्ट:
रिद्धि के निधन के बाद, उसका पोस्टमार्टम वन विहार राष्ट्रीय उद्यान के वन्यप्राणी चिकित्सक डॉ. अतुल गुप्ता, वन्यप्राणी स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. हमजा नदीम फारूखी और सहायक वन्यप्राणी चिकित्सक डॉ. रजत कुलकर्णी द्वारा किया गया। पोस्टमार्टम के दौरान, मृत्यु का मुख्य कारण वृद्धावस्था के कारण आंतरिक अंगों का काम न करना पाया गया।
रिद्धि का शव परीक्षण हेतु नमूने स्कूल ऑफ वाइल्डलाइफ फॉरेंसिक हेल्थ, जबलपुर भेजे गए हैं। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उनकी रिपोर्ट से आगे की जानकारी प्राप्त हो सके।
दाह संस्कार की प्रक्रिया:
पोस्टमार्टम के बाद, रिद्धि का दाह संस्कार वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में नियमानुसार किया गया। इस प्रक्रिया में वन संरक्षक भोपाल, वन विहार के संचालक और अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे। यह दाह संस्कार रिद्धि की शांति के लिए आयोजित किया गया।
पर्यटकों के लिए महत्व:
रिद्धि के निधन से वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में आने वाले पर्यटकों को गहरा धक्का लगा है। वह न केवल एक अद्वितीय जीव थी, बल्कि पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र भी थी। वन विहार में रिद्धि की मौजूदगी ने न केवल बाघों के प्रति लोगों की रुचि को बढ़ाया, बल्कि वन्यजीव संरक्षण के प्रति जागरूकता भी फैलाई।
उम्मीद है कि रिद्धि की यादें हमेशा वन विहार के पर्यटकों और कर्मचारियों के दिलों में जीवित रहेंगी। उसकी जीवन यात्रा वन्यजीवों के संरक्षण के महत्व को और भी स्पष्ट करती है। रिद्धि की मृत्यु न केवल एक जीव की हानि है, बल्कि यह उन सभी के लिए एक महत्वपूर्ण सबक है जो वन्यजीव संरक्षण के प्रति सजग हैं।