उमरिया, मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां मानपुर ब्लॉक के अमरपुर गांव में सरपंच और सचिव ने एक जीवित महिला को कागजों में मृत घोषित कर दिया। इसके बाद, उनके नाम पर अंत्येष्टि एवं संबल योजना के तहत मिलने वाली राशि को निकालकर हड़प लिया गया है।
पीड़िता का परिचय
पीड़ित महिला का नाम कुसमी बाई कोल है, जो झाड़ू बनाने का काम करती हैं। कुसमी का कहना है कि वह घर पर झाड़ू बनाकर उसे बाजार में बेचकर अपने परिवार का पालन-पोषण करती हैं। जब उन्होंने अपनी बेटी की शादी के लिए आवश्यक दस्तावेज जुटाने पंचायत भवन पहुंचीं, तब उन्हें इस बात की जानकारी मिली कि उन्हें कागजों में मृत घोषित कर दिया गया है।
सरपंच और सचिव की लापरवाही
कुसमी बाई की स्थिति ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कैसे स्थानीय प्रशासन की लापरवाही और भ्रष्टाचार के कारण गरीब और अनपढ़ लोग प्रभावित होते हैं। सरपंच और सचिव ने अपनी शक्ति का दुरुपयोग करते हुए इस प्रकार की वारदात को अंजाम दिया है, जिससे पीड़िता को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
शिकायत और प्रशासन की प्रतिक्रिया
कुसमी ने इस मामले की शिकायत उमरिया कलेक्टर धरणेन्द्र कुमार जैन से की है। उन्होंने बताया कि उन्होंने कलेक्टर से न्याय की गुहार लगाई है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। कलेक्टर ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि जल्द से जल्द इस मामले की जांच की जाएगी और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
आदिवासी समुदाय की स्थिति
उमरिया एक आदिवासी बाहुल्य जिला है, जहां लोग अपनी आजीविका के लिए कृषि और अन्य संसाधनों पर निर्भर हैं। यहां की कई महिलाएं जैसे कुसमी बाई, जो मेहनत और लगन से अपना जीवन यापन कर रही हैं, उन्हें ऐसे लापरवाह स्थानीय नेताओं का सामना करना पड़ता है। आदिवासी समुदाय में अशिक्षा एक बड़ा अभिशाप बन गई है, जिसका फायदा सरपंच और सचिव जैसे लोग उठाते हैं।
सरकार की योजनाओं का लाभ
सरकारी योजनाओं का उद्देश्य गरीब और जरूरतमंद लोगों की मदद करना है, लेकिन इस तरह की लापरवाहियों के कारण ये योजनाएं अपनी मूल उद्देश्य से भटक जाती हैं। कुसमी बाई के मामले ने यह दिखाया है कि जब स्थानीय अधिकारी अपने कर्तव्यों को निभाने में विफल होते हैं, तो इसका असर सीधे तौर पर समुदाय के सबसे कमजोर वर्ग पर पड़ता है।
निष्कर्ष
उमरिया के इस मामले ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि प्रशासन को अपनी जिम्मेदारियों को समझना होगा। कुसमी बाई को न्याय दिलाने के लिए उचित कार्रवाई होना आवश्यक है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। कलेक्टर का जल्द जांच करने का आश्वासन महत्वपूर्ण है, लेकिन यह देखना होगा कि प्रशासन इसे कितनी गंभीरता से लेता है। इस घटना से यह भी संदेश मिलता है कि समुदाय को अपने अधिकारों के लिए संगठित होना होगा और किसी भी प्रकार की लापरवाही के खिलाफ आवाज उठानी होगी।